डिजिटल इंडिया सीखो और आगे बढ़ो

जब भी आप Seo और बैकलिंक की बात करते हैं, तो आपने कहीं ना कहीं लिंक जूस (Link Juice) का नाम जरूर सुना होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं, असल में ये लिंक जूस क्या है (Link Juice Kya Hai), और ये आपकी वेबसाइट को गूगल रैंकिंग में शामिल करने के लिए कैसे मदद कर सकता है। आइए जानते हैं:

जब आपकी वेबसाइट को किसी अन्य दूसरी वेबसाइट से Do Follow Backlink मिलता है, तो उस बैकलिंक के द्वारा आपकी साइट को कुछ वैल्यू मिलती है। वह वेबसाइट आपको अपनी कुछ रैंकिंग पावर, ऑथोरिट और ट्रस्ट देती है। Seo की भाषा में इस वैल्यू को लिंक जूस कहते हैं।
Link Juice दो प्रकार के होते हैं, इंटरनल लिंक जूस और एक्सटर्नल लिंक जूस।
अगर आप अपने किसी ब्लॉग आर्टिकल में अपने ही ब्लॉग के किसी दूसरे आर्टिकल की लिंक लगाते हैं, तो इसे Internal Link Juice कहते हैं। इंटरनल लिंकिंग करके ब्लॉग की वैल्यू बढ़ाई जा सकती है।
जब आपके ब्लॉग को किसी दूसरे ब्लॉग से लिंक मिलता है , तो उसे External Link Juice कहते हैं। External Linking से आप आपने ब्लॉग के DA की वैल्यू बढ़ा सकते है।
लिंक जूस बनाने के कुछ नुकसान हैं:
अब तक आप सभी जान गए होंगे, की लिंक जूस क्या है और इसके क्या फायदे हैं। अब आगे जानते हैं, की लिंक जूस कैसे बनाते हैं, इसके लिए इन पॉइंट्स को समझते हैं।
Indirect Link Building SEO की एक ऐसी स्ट्रेटजी होती है, जिसमें आपको किसी दूसरी वेबसाइट या ब्लॉगर से बैकलिंक मांगने की जरूरत नहीं होती है। बल्कि आप खुद ऐसा वैल्यूएबल कंटेंट बनाते हैं, जिससे दूसरे ब्लॉगर खुद से ही आपकी वेबसाइट या आर्टिकल को Do Follow Link प्रदान करने पर मजबूर हो जाएं। इसका सीधा मतलब यह होता है, की आप अपनी ब्रांड ऑथोरिटी, ट्रस्ट और ब्रांड इमेज के जरिए Naturally Backlink को अपनी तरफ खींचते हैं।
Direct Link Building SEO की एक ऐसी स्ट्रेटजी है, जिसमें आपको खुद से आगे बढ़कर अन्य दूसरी वेबसाइट या ब्लॉगर से ईमेल भेजकर, लिंक एक्सचेंज करके, गेस्ट पोस्ट लिखकर या कॉन्टैक्ट करके अपने कन्टेंट के लिए बैकलिंक प्राप्त करने होते हैं। इसका सीधा मतलब आपकी वेबसाइट की ऑथोरिटी, रैंकिंग पावर और ऑर्गेनिक ट्रैफिक को बढ़ाने में मदद करना होता है।
Internal Link Building SEO जब आप अपने किसी ब्लॉग पोस्ट में अपने ही किसी अन्य दूसरे आर्टिकल का लिंक लगाते हैं, तो इस प्रक्रिया को ही Internal Linking Seo कहते हैं। इससे यूजर आपके रिलेटिड कंटेंट तक आसानी से पहुंचता है, इतना ही नहीं बल्कि गूगल को भी ये सिंगनल देता है, कि आपकी साइट पर कौन से पेजेस एक दूसरे के साथ कनेक्टिड हैं।
Seo में हर बैकलिंक बराबर नहीं होती हैं, किसी की वैल्यू ज्यादा होती है तो किसी की वैल्यू कम होती है। इसी को Seo में लिंक वैल्यू कहते हैं।
अगर कोई दूसरा ब्लॉगर आपके ब्लॉग के लिंक को अपने ब्लॉग के होमपेज, कैटेगरी पेज, या आर्टिकल की शुरुआत में सबसे पहले लगाता है, तो उसकी वैल्यू सबसे ज्यादा होती है।
क्योंकि वहां से मिले लिंक की ऑथोरिटी को गूगल महत्वपूर्ण समझता है। लेकिन अगर कोई अपने ब्लॉग आर्टिकल के अंत में आपको लिंक देता है, तो उसकी वैल्यू सबसे कम होती है।
जब कोई अच्छी ऑथोरिटी वाली वेबसाइट या ब्लॉग आपके पेज को बैकलिंक प्रदान करते है, तो वह आपको अपनी कुछ रैंकिंग पावर और ऑथोरिटी वैल्यू ट्रांसफर कर रहे हैं। इसको Seo में Link Juice Flow कहते हैं।
नहीं, केवल Do Follow Backlink ही लिंक जूस देते है, जबकि No Follow Backlinks केवल रेफरल ट्रैफिक देने का काम करते हैं।
ज्यादा डोमेन ऑथोरिटी वाली साइट्स से बैकलिंक प्राप्त करना फायदेमंद होता है। इसके अलावा गेस्ट पोस्टिंग एक अच्छा तरीका है, बैकलिंक प्राप्त करने के लिए। लेकिन Irrelevant Sites से लिंक लेने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे ब्लॉग ऑथोरिटी को नुकसान पहुंच सकता है।
हां बिल्कुल, एंकर टेक्स्ट का लिंक जूस पर प्रभाव पड़ता है। क्योंकि ये गूगल को बताता है, की आपके कौन से लिंक किस टॉपिक के साथ कनेक्ट हैं, जिससे Seo Value बढ़ती है।
हां बिल्कुल, अगर लिंक किसी काम की नहीं रहती, इनएक्टिव हो जाती है या किसी भी कारण लिंक किए हुए पेज की ऑथोरिटी घट जाती है, तो उसकी वैल्यू कम हो जाती है।
ऐसा नहीं है, लिंक जूस केवल Seo तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह आपकी वेबसाइट की क्रेडिबिलिटी (Credibility), ब्रांड ट्रस्ट, और रेफरल ट्रैफिक को बढ़ाने में भी आपकी मदद करता है।
Seo में लिंक जूस और लिंक वैल्यू ये दोनों ही वेबसाइट की अच्छी रैंकिंग के लिए महत्वपूर्ण हैं। अगर आप रेलेवेंट वेबसाइट से High Quality Backlinks प्राप्त करते हैं, तो आपकी वेबसाइट को गूगल में अच्छी ऑथोरिटी और ट्रस्ट मिलता है।
मैं आशा करता हूं, कि आपको आज का यह आर्टिकल पसन्द आया होगा और इसकी मदद से आप अपने ब्लॉग के लिए ज्यादा से ज्यादा लिंक जूस बना सकते हैं। आपको यह आर्टिकल कैसा लगा कॉमेंट में जरूर बताएं। आपका कोई सवाल है, तो आप वह भी पूछ सकते हैं। धन्यवाद, राधे राधे।
Competitor Analysis Kaise Kare– क्या होगा, अगर आपको एक ऐसा तरीका पता लग जाए, जिसमें आप अपने ब्लॉग के Competitor के बारे में सब कुछ जान सकते हैं। कितना आसान हो जायेगा ना, ब्लॉगिंग करना। इससे समय की भी काफी बचत होगी, जिसके चलते आप अपने ब्लॉग के लिए नए-नए टारगेट कीवर्ड पर Unique Content लिख पाएंगे।

आपने कही से Competitor Analysis के बारे में जरूर सुना और पढ़ा होगा। लेकिन ज्यादातर वह ब्लॉगर्स, जो ब्लॉगिंग के क्षेत्र में अभी नए है, उन्हें कंपीटीटर एनालाइज के बारे में ज्यादा नॉलेज नहीं है।
जिसकी वजह से वह अपने प्रतियोगी के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जान पाते हैं। लेकिन आज का यह पूरा आर्टिकल Competitor Analysis करने के बारे में है। जिसमे आप ये कुछ जरूरी पॉइंट्स को जानेंगे।
ब्लॉग टॉपिक से रिलेटिड कीवर्ड को गूगल में सर्च करने पर जितने भी ब्लॉग पोस्ट दिखाई देती है, वही आपके कंपटीटर होते है। उन्हीं कंपीटीटर के बारे में जरूरी जानकारी को ढूंढना और उसपर रिसर्च करना, उसे Competitor Analysis कहते हैं।
विस्तार से समझाता हूं, जब आप गूगल में अपना एक कीवर्ड लिखकर सर्च करते है, रिजल्ट में आपके सर्च किए कीवर्ड के अनुसार ब्लॉग पोस्ट दिखाई देती है। अगर आप उन ब्लॉग के DA, PA, Backlink, Keyword के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो इसे ही Competitor Analysis कहते हैं।
Competitor Analysis करने से आपके ब्लॉग को कुछ फायदे हो सकते हैं, जो इस प्रकार हैं।
Competitor को अच्छे से एनालाइज करने के बाद आप अपने कंपटीटर की स्ट्रेटजी के बारे में जान सकते हैं। इसका सबसे बड़ा फायदा यह भी है, की आप अपने ब्लॉग की कमियों को सुधार सकते हैं। इसके अलावा ब्लॉग को गूगल सर्च इंजन के लिए ऑप्टिमाइज भी कर सकते हैं।
कंपीटीटर एनालाइज करने से कंपीटीटर के काम करने के तरीके के बारे में जान सकते हैं, कि वह कैसे काम करते हैं। इसके माध्यम से हम अपने ब्लॉग कंपटीटर की स्ट्रेटजी को समझ सकते हैं और अपने ब्लॉग को बेहतर बनाकर आगे बढ़ सकते हैं। इसके लिए हमें कुछ जरूरी बातों को ध्यान में रखना चाहिए।
अपने Competitor Blog के कॉन्टेंट को देखें और समझें कि उसमें ऐसा क्या लिखा गया है, जो आपके ब्लॉग में सुधार जा सकता है। कंटेंट की क्वॉलिटी बढ़ाने के लिए कंपटीटर के ब्लॉग से ज्यादा जानकारी भरा कंटेंट लिखने पर ध्यान देने की कोशिश करते रहें। आपके ब्लॉग पर जितना ज्यादा अच्छा इनफॉर्मेटिव कंटेंट पोस्ट होगा, उतना ही कंटेंट की क्वॉलिटी सुधरती जायेगी।
कंपटीटर ब्लॉग के On Page Seo को ज़रूर चैक कर लें, क्युकी Good Backlinks बनाना और क्वॉलिटी कंटेंट लिखने ही काफी नहीं है। जबतक ब्लॉग का On Page Seo ठीक से नहीं हुआ हो, तब तक क्वॉलिटी कंटेंट लिखने से ज्यादा कुछ नहीं होगा। इसलिए अपने ब्लॉग का On Page Seo में सुधार करें।
बैकलिंक Seo का ही एक हिस्सा होता है, जिससे ब्लॉग को गूगल में रैंक करने में सहायता मिलती है। Competitor Analysis करते समय उनके बैकलिंक पर जरूर ध्यान रखना जरूरी है। क्युकी इससे आपको उनके बैकलिंक सोर्स और बैकलिंक क्वांटिटी के बारे में जानकारी निकाल सकते हैं।
उनके बैकलिंक क्वांटिटी से ज्यादा क्वांटिटी आपके ब्लॉग पर होनी चाहिए। क्योंकि ज्यादा बैकलिंक आपके ब्लॉग को गूगल में रैंक कराने में मदद करती है।
अपने Competitor Blog के Traffic यानी उसकी ऑडिएंस के बारे जानकारी प्राप्त करें। जब आप यह जान लेते हैं, तो अपने ब्लॉग पर ट्रेफिक ला सकते हैं।
Competitor ब्लॉग के DA यानी उसकी Domain Authority को चेक कर लेना चाहिए। क्योंकि यह Seo का एक जरूरी हिस्सा होता है, Search Engine Result Page में ब्लॉग की परफॉरमेंस और उसकी रैंकिंग के बारे में जानकारी मिलती है।
Competitor ब्लॉग के DA चेक करने के लिए इन पॉइंट्स पर ध्यान दें।
कंपीटीटर के ब्लॉग की डोमेन अथॉरिटी चेक करने के लिए Moz, Semrush, Ahrefs और Website Seo Checker जेसे इन सभी टूल का इस्तेमाल कर सकते हैं।
यहां ध्यान दें- DA (Domain Authority) केवल Moz की एक मैट्रिक है, जो रेंकिंग का फैक्टर नहीं है। ब्लॉग का DA बढ़ाने के लिए काफी समय भी लग सकता है, इसलिए धैर्य रखकर लगातार Seo Friendly कंटेंट लिखने पर ध्यान देने की कोशिश करते रहें।
Domain Age जो कि रैंकिंग का एक जरूरी हिस्सा होता है। Domain Age जितनी ज्यादा होती है, कहने का मतलब डोमेन जितना पुराना होगा, उतना ही गूगल का आपके ब्लॉग के प्रति विश्वास बनेगा।
इसलिए अपने कंपटीटर ब्लॉग के Domain Age को ज़रूर चैक कर लें, और अपने ब्लॉग का Domain Age बढ़ने तक का इंतजार करें।
अपने कंपटीटर ब्लॉग को चैक करते समय उनके कीवर्ड को देखें, की वह किन-किन कीवर्ड पर लेख लिख रहे हैं। उनके कीवर्ड को अपनी नोटबुक में लिख लें और उन कीवर्ड्स पर इनफॉर्मेटिव क्वालिटी कंटेंट लिखने की कोशिश करते रहें।
इसके बाद यह चेक कर लें, की कंपीटीटर अपने ब्लॉग पोस्ट में एक कीवर्ड को कितनी बार और कहां इस्तेमाल कर रहा है। अगर आप यह जान जाते हैं, तो आपको अपने ब्लॉग पोस्ट में Keyword Density सुधार करने में सहायता मिलेगी।
कंपटीटर के ब्लॉग पर कितनी ब्लॉग पोस्ट की गई है, इस बात का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए। अगर आपके ब्लॉग पर कंपटीटर के मुकाबले ब्लॉग पोस्ट की क्वांटिटी कम है तो Content की Quantity बढ़ाने की कोशिश करें।
कंपटीटर के ब्लॉग में उनके Page’s को भी जरूर चेक करना चाहिए, की उनके ब्लॉग पर कोन कोन से जरूरी Page को लगाया गया है। अगर आपके ब्लॉग पर जरूरी Page’s नहीं है, तो उन सभी को अपने ब्लॉग में जरूर शामिल कर लें।
Competitor Analysis Kaise Kare और Competitor Analysis करना क्यों महत्वपूर्ण है। आज के लेख में कुछ ऐसे ही जरूरी प्वाइंट को कवर किया है, जिससे आपको अपने ब्लॉग के कंपीटीटर को एनालाइज करने में सहायता मिलेगी।
आशा करता हूं, कि आपको आज का लेख पसंद आया होगा। कॉमेंट में अवश्य बताएं, धन्यवाद राधे राधे।
क्या आप जानते हैं, कि Topical Map क्या है? Topical Map SEO Kya Hai? इसका क्या काम होता है? अगर नहीं, तो आईये बताता हूँ। सभी Beginner जो Blogging में नए है, उन सब की मुश्किलों के सीक्रेट Solution का नाम Topical Map है।
ऐसा इसीलिए कह रहा हूँ, क्यूंकि हर किसी के लिए ब्लॉग्गिंग आसान नहीं होती है। ब्लॉग्गिंग के शुरूआती दौर में एक Beginner को बहुत सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। जैसे- ब्लॉग्गिंग क्या है?, ब्लॉग कैसे बनाये?, गूगल सर्च कंसोल क्या है?, हर रोज नए ट्रेंडिंग कंटेंट कैसे ढूंढे?, कंटेंट कहाँ से ढूंढे?, गूगल में रैंक कैसे करें? आदि।
आप चिंता मत करिए, आज इस लेख में हम इन सभी मुश्किलों के समाधान की बात करेंगे। हम इस लेख में बात करेंगे, कि Topical Map SEO क्या है? Topical Map Blog Kya Hai? इसकी जरूरत क्यों है? और आप कैसे अपने ब्लॉग के लिए Topical Map बना सकते हैं। सोचिये अगर आपको पहले ही पता हो, कि आपको किस Topic पर लिखना है। इससे आपका काम कितना आसान हो जायेगा, तो चलिए शुरू करते हैं-

टॉपिकल मैप एक ऐसा तरीका होता है, जिसकी मदद से एक मुख्य टॉपिक को कईं भागों में बाँटकर सबकी जानकारी को एक दुसरे से जोड़कर दिखाया जा सकता है। इसे Topical Map कहते हैं।
टॉपिकल मैप SEO में एक मुख्य टॉपिक होता है। इस मुख्य टॉपिक से रिलेटेड कईं सारे सब-टॉपिक होते हैं। हम इन सभी सब-टॉपिक पर अलग-अलग लेख लिखते हैं। सभी को एक दुसरे के साथ इंटरनल लिंकिंग से जोड़ा जाता है। इसका फायदा यह होता है, कि इसकी मदद से यूजर को टॉपिक की गहराई तक जानकारी मिलती है। इससे यूजर Search Intent को भी अच्छा किया जा सकता है।
जब आप एक मुख्य टॉपिक को कुछ सब-टॉपिक में बांटकर अपनी ऑडियंस तक पहुंचाते हैं, तो इससे टॉपिक को अधिक गहराई तक कवर किया जा सकता है। इससे यूजर को स्टीक और अधिक जानकारी प्राप्त होती है।
इसका एक फायदा यह भी होता है, कि ब्लॉग पर गूगल और यूजर का विश्वास (Trust) बढ़ता है।
1. बेहतर कंटेंट: अपने कंटेंट को ज्यादा गहराई तक यूजर को परोसना आपके कंटेंट को ज्यादा बेहतर बनाता है।
2. यूजर एक्सपीरियंस पर अच्छा प्रभाव: कंटेंट को अधिक गहराई तक कवर करने से यूजर इंगेजमेंट बढ़ता है।
3. जबर्दस्त ब्रांडिंग: जब आप टॉपिकल मैप का इस्तेमाल करते हैं तो आपके टॉपिक का एक अच्छा स्ट्रक्चर बन जाता है। इसे गहराई में कवर करने के कारण दुसरे ब्लॉगर भी इसे लिंक करने को देखते हैं। इससे आपको एक Do-follow Backlink भी मिल सकता है।
अपने ब्लॉग के लिए टॉपिकल मैप बनाने के लिए आप Ai का इस्तेमाल कर सकते हैं। लेकिन फिर भी आपको कुछ महत्वपूर्ण बिन्दुओं को ध्यान में रखना हैं। इससे आप Topical map SEO को ज्यादा बेहतर कर पाएंगे कुछ मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं –
अपनी पसंद और अनुभव के क्षेत्र से ही विषय का चुनाव करें। इससे आप अपने अनुभव को विषय की गहराईयों में उतारकर सटीक जानकारी अपनी ऑडियंस तक पहुंचा सकते हैं।
अपने टॉपिक में रिलेटेड कीवर्ड का इस्तेमाल करें। Google trends और गूगल सर्च से अपने टॉपिक से रिलेटेड सर्च, कीवर्ड और सब-टॉपिक को ढूंढे इसका फायदा यह होगा, कि सर्च इंजन आपके कंटेंट के कांटेक्स्ट को अच्छे से समझ पाएंगे।
अपने मुख्य टॉपिक को कईं हिस्सों में बाँट लें। अब सभी सब-टॉपिक के लिए कीवर्ड रिसर्च करें इन सभी सब-टॉपिक पर अलग-अलग ब्लॉग पोस्ट लिखकर पोस्ट करें। लेकिन ध्यान रखें इन सभी सब-टॉपिक को गहराई तक कवर करें, जिससे यूजर को ज्यादा से ज्यादा जानकारी मिले।
अपने सब-टॉपिक के word काउंट बढ़ाने में ध्यान ना देकर यूजर को अधिक और सटीक जानकरी देने पर ध्यान दें।
अपने विषय और उप विषयों को लिखने से पहले यूजर सर्च इंटेंट क्या है, इसे समझना आपके लिए जरूरी है। सर्च इंटेंट को ध्यान में रखकर अपने कीवर्ड को चुने।
अपने विषय और उप विषयों के लिए सर्च इंटेंट को ध्यान में रखकर Long tail Keyword का इस्तेमाल करें।
आप अपने टॉपिकल मैप के डायग्राम को अपने ब्लॉग पर बनाकर यूजर के सामने पेश कर सकते हैं। इससे उन्हें समझने में आसानी होगी। इसके लिए आप टेबल या लिस्ट का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।
अपने कंटेंट को समय-समय पर अपडेट करना जरूरी होता है। इससे सर्च इंजन के बोट्स को एक सन्देश जाता है, कि आपका कंटेंट समय के साथ नई जानकारी को अपडेट करके दिखाता है। इसका फायदा आपको सर्च इंजन रैंकिंग में भी हो सकता है।
अपने सभी सब-टॉपिक को नेचुरल रूप से एक दुसरे के साथ इंटरनल लिंक जरुर करें। इससे सर्च इंजन में आपके ब्लॉग पोस्ट की अथॉरिटी बिल्ड होती है। एक विश्वास यूजर में आपके ब्लॉग के प्रति बनता है। इसके अलावा यूजर को टॉपिक समझने में आसानी होती है।
अपने ब्लॉग पोस्ट के स्ट्रक्चर और फॉरमेट पर ध्यान दें। इसमें headings और sub-headings का इस्तेमाल करें। पैराग्राफ को ज्यादा बड़ा या ज्यादा छोटा न बनाएं। आप एक पैराग्राफ में 3 से 4 लाइन तक रख सकते हैं। इससे यूजर को जानकारी पढने और समझने में आसानी होगी। इस लेख के बारे में आप Similar web से भी जानकारी ले सकते हैं
इस लेख में हमने आपको बताया है, कि Topical map SEO kya hai, Topical Map कैसे बनाते हैं, और इसके क्या फायदे हो सकते हैं। I आशा करते हैं, कि आपको आज का लेख Topical Map SEO Kya Hai पसंद आया होगा। धन्यवाद राधे राधे।
Micro Niche Blog Kya Hai– अगर आप पहले से ही Pro Blogging करते हैं, तो आपको अच्छे से Micro Niche के बारे में जानकारी होगी। लेकिन ज्यादातर जो लोग अभी ब्लॉगिंग में नए हैं, या अपना ब्लॉग बनाना चाहते हैं, उनको Micro Niche के बारे में ज्यादा कुछ जानकारी नहीं होती है।

जिससे वह गलत टॉपिक पर ब्लॉग लिखना शुरू कर देते हैं, ज्यादातर इसका परिणाम गलत निकलता है। क्योंकि गलत टॉपिक को चुनने से नए ब्लॉगर्स को अंत में असफलता मिलती है।
इसलिए आपको एक ऐसा Blogging Niche या टॉपिक चुनना चाहिए, जिसका कंपीटीशन कम हो और उस विषय पर आपकी जानकारी अधिक हो। आज मैने इस लेख में कुछ ऐसे सवालों को जोड़ा है, जो नए ब्लॉगर्स के मन में आते होंगे। लेख में शामिल हैं-
Micro यानी सुक्ष्म और Niche का मतलब एक विषय या केटेगरी, इसे हिंदी में सूक्ष्म विषय कहते हैं।
Micro Niche एक ऐसी Blogging Niche होती है, जिसमें ब्लॉग किसी छोटे विषय बनाया गया होता है। उदाहरण देकर समझाने का प्रयास करता हूं, कि आप हेल्थ केटेगरी पर ब्लॉग बनाते हैं, तो यह एक Niche Blog है। इसके Micro Niche कुछ इस तरह से होंगे।
समझने के लिए अगर आपने एक ऐसे छोटे विषय पर अपना ब्लॉग बनाया है। जिसमे आपको कम मेहनत करने को मिलती है, और इन ब्लॉग पर कम कंपीटीशन होता है। लेकिन ऐसे ब्लॉग पर कम ट्रेफिक देखने को मिलता है।
अगर आप इस ब्लॉग पर लगातार मेहनत करते है, क्योंकि कम कंपीटीशन होने की वजह से ब्लॉग पर Hot Traffic यानी (Same Traffic) मिलने की संभावना बन जाती है। एक सही Micro Niche Topics चुनने से ये कुछ फायदे हो सकते हैं।
Micro Niche Blog बनाने के लिए आपको ये कुछ चीजें करनी होंगी:
अगर आपने Micro Niche Blog बनाने के बारे में सोच ही लिया है तो इसके लिए सबसे पहले एक सही Niche या केटेगरी को चुनना चाहिए। एक ऐसा Niche को चुनें, जिसमे आपकी जानकारी अधिक हो और आपकी ऑडियंस को पसंद आए।
क्योंकि Micro Niche Blog को गूगल में रैंक करने के लिए कड़ी मेहनत करनी होती है। इसलिए ब्लॉग बनाने से पहले एक बेहतर Niche को चुनना चाहिए। इसके लिए Keyword Research कर सकते हैं।
Micro Niche Blog बनाने के लिए कीवर्ड रिसर्च करना बहुत जरूरी होता हैं। Niche को चुनने के बाद अपने ब्लॉग से रिलेटिड 100 कम डिफिकल्टी वाले कीवर्ड को ढूंढकर किसी नोटपैड में Save कर लेना है।
Blog Niche से रिलेटिड एक Domain Name का चुनाव करना है। दूसरे शब्दों में कहूं, तो एक फोकस कीवर्ड को ध्यान में रखकर Blog Niche से मिलता-जुलता एक Domain Name सिलेक्ट करना है।
उदाहरण देकर समझाता हूं, अगर आप Diet पर एक माइक्रो नीच ब्लॉग बनाना चाहते हैं। तो Diethindi.com डोमेन को चुन सकते हैं। क्योंकि इसमें Diet नाम का एक कीवर्ड है, जो आपके Micro Niche को Focus करता है।
Niche और Domain Name सिलेक्ट करने के बाद अब Best Blogging Platform की जरूरत होगी। जिसमें ब्लॉग पोस्ट से लेकर और भी कई जरूरी सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए।
अब आपके मन में कुछ ऐसा सावल आ रहा होगा, जैसे Best Blogging Platform कौन से हैं? मेरे अनुभव के अनुसार वर्डप्रेस, Micro Niche Blog के सबसे अच्छा प्लेटफॉर्म है।
क्योंकि WordPress में बहुत सारे Plugin और Lightweight Theme का सुपोर्ट मिल जाता है, जिससे ब्लॉग का Seo सुधारने में सहायता मिलती है।
Domain और ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म को चुनने के बाद एक अच्छी और फास्ट वेब होस्टिंग को सिलेक्ट करें। इसके बाद अपने Domain को वेब होस्टिंग के साथ कनेक्ट करना है। आपको एक ऐसी वेब होस्टिंग का चुनाव करना चाहिए, जिससे ब्लॉग बिना रुकावट के जल्दी लोड हो सके।
ब्लॉग सेटअप के बाद अब बात आती है, ब्लॉग के डिजाइन की, उसके लिए एक ऐसी Theme को सिलेक्ट करना है। जिसमें Core Web Vitals और फास्ट लोडिंग जैसे सभी फंक्शन मौजूद हों। एक अच्छी Theme का इस्तेमाल करने से ब्लॉग के Mobile Usability को ठीक रख सकते हैं।
ब्लॉग डिज़ाइन करने के बाद अपने Micro Niche Blog को ध्यान में रखते हुए, Seo Friendly Article लिखने चाहिए। एक निश्चित समय पर ब्लॉग आर्टिकल को पोस्ट करें, इसके लिए आप एक शेड्यूल बना सकते हैं। गूगल में अच्छी रैंकिंग पाने के लिए ब्लॉग के Seo पर विशेष ध्यान रखना जरूरी है।
ब्लॉग लिखने के बाद बात करते हैं, ब्लॉग गूगल सर्च में कैसे दिखाई देगा? ब्लॉग को गूगल सर्च में दिखाने के लिए अपने ब्लॉग को गूगल सर्च कंसोल में सबमिट करना है। इसके बाद आप अपने ब्लॉग के सभी पेज और पोस्ट को गूगल में इंडेक्स कर पायेंगे।
ब्लॉग को गूगल में दिखाने के लिए बहुत सारे जरूरी फैक्टर होते हैं। ब्लॉग को अच्छी रैंकिंग देने के लिए ब्लॉग के Seo यानी On Page Seo और Off Page Seo की अहम भूमिका होती है। इसलिए ब्लॉग के Seo को सुधारने पर ध्यान देना चाहिए।
ब्लॉग को सफल बनाने के लिए इन Pro Blogging Tips के बारे में समझें।
Micro Niche ब्लॉग बनाने से पहले आपको एक ऐसी Niche का सिलेक्शन करना होगा, जिसमे आपकी रुचि हो। ये पांच तरीके आपका Micro Niche ढूंढने में आपकी सहायता कर सकते हैं।
आज मैने इस लेख में आसान शब्दों में बताया है, कि Micro Niche Blog Kya Hai और Micro Niche Blog कैसे बनाते हैं। इसके अलावा इसमें ये कुछ जरूरी जानकारी भी शामिल हैं, जैसे- How To Select Niche For Blogging, Micro Niche Ideas 2024, Micro Niche क्यों जरूरी है,Micro Niche ब्लॉग कैसे बनायें आदि।
I Hope, आपको आज का आर्टिकल Micro Niche Blog Kya Hai पसंद आया होगा। कमेंट करके जरूर बताएं, आपका, धन्यवाद राधे राधे।
Blog को गूगल डिस्कवर में कैसे लायें– अगर आप नए ब्लॉगर हैं और आप अपने ब्लॉग के Google Search Console डैशबोर्ड में डिस्कवर का ऑप्शन ऑन करना चाहते है जिससे आपकी वेबसाइट पर ट्रैफिक आना शुरू हो जाए | अगर आपका डिस्कवर किसी वजह से अभी तक ऑन नहीं हुआ है तो आज हम कुछ जरूरी पॉइंट्स को समझने की कोशिश करेंगे।
आज हम आपको इस आर्टिकल में Google Discover History क्या है, Google Discover से क्या फायदे हो सकते हैं और आपको कौन कौन सी Google Discover Settings करनी है। आज हम इन सभी पॉइंट्स को समझने की कोशिश करेंगे। आर्टिकल को अंत तक पढ़ते हैं तो आप भी अपने ब्लॉग को Google Discover या Google App में ला सकते हैं। Techaasvik Blog पर आपका स्वागत है चलिए आर्टिकल को शुरू करते हैं-
Google Feed को 2016 में लॉन्च किया गया था, जिसको 2018 में Google Discover का नाम दिया गया । इसमें यूजर्स अपने मन मुताबिक न्यूज, आर्टिकल, यूट्यूब वीडियो को देख सकते हैं।
गूगल डिस्कवर Google App का एक हिस्सा है। Google App में यूट्यूब वीडियो, स्टोरीज, आर्टिकल्स दिखाई देते हैं। इन सभी कॉन्टेंट को डिस्कवर कहते हैं। यूजर्स अपने पसन्द के अनुसार Google Discover को कस्टमाइज कर सकते हैं। Google Discover अपने यूजर्स के इंट्रेस्ट के अनुसार उनको कॉन्टेंट दिखाता है। जिससे यूजर्स अपने पसन्द के Trending और Searchable कंटेंट को आसानी से Google App में पढ़ सकते हैं।
Google Discover की मदद से अपने ब्लॉग को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने का अवसर मिलता है। जिससे आपके ब्लॉग को कुछ फायदे हो सकते हैं।
Google Discover में अपना ब्लॉग पोस्ट लाने के लिए आप नीचे बताए गए सभी पॉइंट्स को फॉलो कर सकते हैं। इसके बारे में गूगल ने अपनी Official Website में बताया है, जो हम आपको अपने आज के इस आर्टिकल में उन सभी प्वाइंट्स के साथ कुछ Extra Tips को Details में समझाने की कोशिश करेंगे। जिससे आपका ब्लॉग पोस्ट Google App में डिस्कवर हो सकता है।
ब्लॉग पोस्ट गूगल में तभी दिखाई देंगी जब वह Google Search Console में Index होंगी। इसलिए अपने सभी ब्लॉग पोस्ट को और ब्लॉग को Google Search Console में पहले Index करना ज़रूरी है।
अपने ब्लॉग पोस्ट को ज्यादा Informational और Valuable बनाइए, इससे Users का Attention बन सकता है। ब्लॉग पोस्ट को Attractive और Unique बनाने की कोशिश करिए। कम से कम 600 – 1000 शब्दों का उपयोग कर सकते हैं।
ब्लॉग पोस्ट के Title को Catchy और Clickable बनाना होगा, उसके लिए टाइटल में Keywords का इस्तेमाल करना है। टाइटल को 50 से 70 कैरेक्टर का रखना चाहिए।
ब्लॉग पोस्ट में इस्तेमाल होने वाली इमेज को हाई क्वालिटी का रखिए। पोस्ट में Webp इमेज का इस्तेमाल करना चाहिए। इसके अलावा इमेज का साइज 1200*630 या 1200*680 px पर रखना चाहिए।
अपने ब्लॉग को मोबाइल फ्रेंडली के लिए ऑप्टिमाइज करना ज़रूरी है क्युकी यह मोबाइल में एक Google App है। जिसमें जिसमे यह सभी Content दिखाई देते हैं। Amp का इस्तेमाल करके भी आप अपने ब्लॉग वेबसाइट को Google Discover में ला सकते हैं।
ब्लॉग पोस्ट को Google Discover में रैंक करने के लिए उसमे थोड़ा बहुत Seo करना ज़रूरी है। अपने ब्लॉग में स्कीमा मार्कअप, कीवर्ड, डिस्क्रिप्शन, इंटरनल और एक्सटर्नल लिंकिंग करना चाहिए।
गूगल ट्रेंड्स का इस्तेमाल करके आप अपने ब्लॉग के लिए ट्रेंडिंग पोस्ट लिख सकते हैं।
Webstories बनाकर भी आप अपने ब्लॉग को Google Discover या Google App में ला सकते हैं और ज्यादा से ज्यादा ट्रैफिक ला सकते हैं।
वेबस्टोरीज Amp Technique की मदद से बनाई गई है। इसमें यूजर्स अपने पसन्द के टॉपिक को शॉर्ट स्टेटस के रूप में आसानी से देख सकते हैं।
Blogspot या Blogge.com पर Webstories बनाने के लिए आपको एक वेबसाइट का इस्तेमाल करना है।
आज के आर्टिकल में हमने आपको Google Discover History क्या है, Google Discover से क्या फायदे हो सकते हैं। Google Discover Settings कैसे करें, Google App और वेबस्टोरीज क्या है – Google Discover Traffic और भी कई पॉइंट्स पर हमने बात की है।
अगर आपको हमारा ये आर्टिकल पसंद आया है तो इस इनफॉर्मेटिव आर्टिकल को अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर शेयर कर सकते हैं। आप हमारे Telegram Group को Join कर सकते हैं।
हमारे ब्लॉग को Subscribe करना ना भूलें। Techaasvik ब्लॉग में आने के लिए आपका आभार, मिलते हैं अपने नए आर्टिकल के साथ धन्यवाद राधे राधे।
Google App गूगल का एक प्रोडक्ट है, यह App Play Store पर मिल जायेगी। Google App में Users अपने मन मुताबिक न्यूज, आर्टिकल, यूट्यूब वीडियो, ब्लॉग पोस्ट को बिना सर्च किए पढ़ सकते हैं।
Google Trends Kya Hai– क्या आप डिजिटल मार्केटिंग में एक Beginner हैं? अगर आप ब्लॉग्गिंग, युटुबर या किसी भी अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की दुनिया में नए हैं, तो आपके मन में भी कुछ ऐसे सवाल जरुर आते होंगे। जैसे- Google Trend Kya Hai, 2024 में सबसे ज्यादा क्या सर्च हो रहा है? कौन सा टॉपिक ट्रेंडिंग हैं?

इसके अलावा नए ब्लॉगर को Micro Niche Topic और रोज नए-नए टॉपिक ढूंढने में समस्या आती है। जिसमे उनका काफी सारा समय खराब हो जाता है। एक Beginner के लिए यह सभी काम काफी मुश्किल हो जाते है, अब सवाल यह उठता है, कि आपको कैसे पता चल सकता है, कि गूगल पर क्या ट्रेंड कर रहा है और क्या नहीं?
अरे दोस्तों टेंशन क्यूँ लेते हो। अब आप Techaasvik Blog पर आए हो, तो कुछ सीखकर ही जाओगे। जी हाँ दोस्तों, अगर आप इन सभी सवालों के जवाब चाहते हैं, तो Google Trends इन सभी कामों में माहिर है।
गूगल के इस टूल को, जादुई टूल कहना गलत नहीं होगा। क्योंकि यह ऐसे ट्रेंडिंग टॉपिक और कीवर्ड खोजने में आपकी मदद करता है, जिससे आपके कंटेंट को ट्रेंड के साथ जोड़ने में मदद मिलती है। आज का लेख Google Trend Kya Hai और Google Trends Beginner Guide Hindi पर है। लेख में यह पॉइंट्स भी शामिल हैं।
वर्तमान समय में अगर किसी कीवर्ड या किसी घटना को लोगों द्वारा सबसे अधिक बार सर्च किया जा रहा है, तो उसे Trend कहते हैं। उदाहरण के तौर पर कहूं, तो जब किसी भी टॉपिक को अधिक से अधिक समय तक सर्च किया जाता है, तो वह Trending Topic कहलाता है।
Google Trends एक ऑनलाइन टूल है। इस टूल की मदद से आसानी से लोगों द्वारा खोजे जा रही चीजों का पता लगा सकते हैं। कोई व्यक्ति इन्टरनेट पर क्या कीवर्ड लिखकर सर्च कर रहा है, इसकी मदद से Trending Blog Niche और Keywords ढूंड सकते हैं।
दूसरे शब्दों में समझाता हूं, गूगल पर आज क्या ट्रेंड कर रहा है, लोग किस कीवर्ड को गूगल में ज्यादा सर्च कर रहें हैं। इस बात का पता गूगल ट्रेंड का यूज करके आसानी से कर सकते हैं। यह टूल कीवर्ड के पिछले रिकॉर्ड के अनुसार एक ग्राफ दिखाता है, जिसकी मदद से कीवर्ड के ट्रेंड का आसानी से पता लगाया जा सकता है।
6 अगस्त, साल 2008 में इसकी शुरूआत हुई थी। गूगल द्वारा उस समय Google Trends को Google Insights for Search के नाम से लॉन्च किया गया था। इसके बाद में 27 दिसंबर साल 2012 को गूगल ने इसका नाम Google Insights for Search से बदलकर Google Trends रख दिया। आप इसके माध्यम से अपने ब्लॉग पोस्ट के लिए आसानी से कीवर्ड रिसर्च कर सकते हैं।
Google Trends के फायदे, कुछ इस प्रकार हैं-
इसकी मदद से टॉप ट्रेंडिंग Niche को ढूंड सकते हैं और Niche को अलग-अलग केटेगरी, भाषा, कंट्री और टाइम के हिसाब से भी ढूंढ सकते हैं। आप अपने किसी एक Particular Region का डाटा भी यहाँ देख सकते हैं।
जिस भी Niche Idea पर आप रिसर्च कर रहे हैं। वह सर्च इंजन में कितना ट्रेंड कर रहा है या उसका ट्रेंड खत्म हो चूका है। इसे आप ग्राफ के माध्यम से देख सकते हैं।
आप डाटा को महीने और साल के अनुसार भी चेक कर सकते हैं। इससे आप Niche या कीवर्ड के पिछले डाटा और वर्तमान डाटा को Compare कर सकते हैं।
आप अपनी भाषा अनुसार ट्रेंडिंग टॉपिक या कीवर्ड को ढूंड सकते हैं। आप जिस भाषा में भी Keyword Research करना चाहते हैं। उस भाषा में लिखकर सर्च कर सकते हैं, और आपको उसी भाषा के अनुसार डाटा मिल जाता है।
आप इस टूल की मदद से अपनी ब्लॉग वेबसाइट के लिए एक कंटेंट Strategy भी बना सकते हैं
आप एक ब्लॉगर है, तो गूगल ट्रेंड्स का इस्तेमाल करके होने वाले फायदे के बारे में समझें।
यूट्यूबर्स के लिए Google Trends के कई फायदे हैं।
गूगल ट्रेंड का अकाउंट बनाने के लिए इन तीन स्टेप्स को फ़ॉलो करें।
गूगल ट्रेंड के हर एक प्वाइंट को समझ पाना थोड़ा कठिन काम है। लेकिन मैं आपको गूगल ट्रेंड के इंटरफेस को तीन हिस्सों में बाँट कर समझाने का प्रयास करता हूं। जैसे: मेनू, फ़िल्टर और परिणाम।
गूगल ट्रेंड में किसी कीवर्ड के वर्तमान ट्रेंड का पता कर सकते है, तीन तरीकों से ट्रेंड का पता कर सकते हैं।
आप Explore सेक्शन में कोई भी कीवर्ड डाल कर सर्च कर सकते हैं
इस सेक्शन में Trending Searches देखने को मिल जाती हैं
जब हम Explore सेक्शन में जाते हैं तो वहां उपर की तरफ Keyword Research के लिए एक सर्च बॉक्स होता है
गूगल ट्रेंड में किसी भी कीवर्ड को फिल्टर करके उसके डाटा को एनालाइज कर सकते हैं। फिल्टर को छः पॉइंट्स में समझते हैं।
इस फ़िल्टर से आप घंटे, महीने या साल किसी को भी चुनकर कीवर्ड के लिए परिणाम देख सकते हैं आप टाइम के हिसाब से किसी भी कीवर्ड के डाटा को Analyse कर सकते हैं।
उदाहरण:- अगर हम “Google Search Console” keyword सर्च करते हैं और Timeframe में बारी-बारी से 3 महीने, 6 महीने और 12 महीने सेलेक्ट करके ट्रेंड ग्राफ चेक करेंगे। ऐसा करने से हमें अलग-अलग टाइम में ट्रेंड का पता चल जायेगा, कि यह कीवर्ड कब कितना ट्रेंड में रहा है।
आप अलग-अलग देश (Country) सिलेक्ट का फ़िल्टर लगा कर कीवर्ड का डाटा चेक कर सकते हैं ।
उदाहरण:- भारत, पाकिस्तान, जापान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, अमेरिका आदि।
आप कोई कंट्री सेलेक्ट करने के बाद उस कंट्री के Subregion और सिटी के लिए भी परिणाम चेक कर सकते हैं। आप लोकल सिटी को भी टारगेट कर सकते है और अपने ब्लॉग के SEO को बेहतर कर सकते हैं।
उदाहरण:- अगर हम कंट्री भारत चुनते हैं, तो उसके बाद Subregion में किसी भी सिटी को चुन सकते हैं जैसे मुंबई, हरियाणा, उत्तरप्रदेश आदि।
आप अपने Niche के अनुसार केटेगरी फ़िल्टर लगा सकते हैं या सभी केटेगरी के परिणाम चेक कर सकते हैं आप केटेगरी पर जाकर सभी केटेगरी को देख पाएंगे।
उदाहरण:- जैसे हम “Internet And Telecom” केटेगरी को चुन लेते हैं, तो हमें इसी केटेगरी के परिणाम मिलने शुरू हो जायेंगे जैसे आप नीचे देख पा रहे हैं। Related Topics में Quora, WordPress और Keyword Research के टॉपिक दिखयी दे रहे हैं।
इस फ़िल्टर की मदद से आप किन्ही दो कीवर्ड या टॉपिक की तुलना कर सकते हैं। इससे दोनों कीवर्ड या टॉपिक के ट्रेंड की तुलना हो सकती है।
इसमें चार ऑप्शन देखने को मिल जाते हैं, जैसे: Image Search, News Search, Youtube Search और Google Shopping आदि। आपको जिस भी प्रकार का कीवर्ड चाहिए उसी जरूरत अनुसार इनमे से एक चुन लें।
इसमें हम कीवर्ड के पिछले रिकॉर्ड और वर्तमान रिकॉर्ड का ग्राफ देख सकते हैं, कि किस कीवर्ड का ग्राफ का Peak उपर या नीचे कहाँ जा रहा है। इससे ट्रेंड का पता लगाया जा सकता है।
इसमें ट्रेंडिंग टॉपिक्स दिखाए जाते हैं।
इसमें ट्रेंडिंग यूजर Query दिखाई जाती हैं।
सभी कीवर्ड को Google sheet की CSV फाइल या एक्सेल फाइल में save करने का ऑप्शन मिल जाता है।
Related Topic और Related Queries में हमें कुछ सिंबल और ऑप्शन देखने को मिलते हैं। उनके बारे में हम डिटेल में बात करेंगे, जैसे- Related (Topics / Query) में इन चार पॉइंट्स को समझते हैं।
गूगल ट्रेंड के रिलेटेड टॉपिक और क्वेरी सेक्शन में हमें Rising और Top दो option देखने को मिलते हैं।
Rising का अर्थ होता है – बढ़ता हुआ।
राइजिंग सेक्शन में वे Topics या Keyword दिखाए जाते है, जिनके सर्च रिजल्ट तेजी से बढ़ रहे हैं। ऐसे विषय या कीवर्ड जिनकी रूचि या डिमांड लोगों में तेजी से आगे की ओर बढ रही है। इन टॉपिक्स या कीवर्ड का उपयोग करके आप अपने ब्लॉग को अपनी Target ऑडियंस तक पहुचा सकते हैं।
गूगल ट्रेंड के रिलेटेड टॉपिक और क्वेरी सेक्शन में राइजिंग ड्रापडाउन मेनू में Top सेलेक्ट करें। इस सेक्शन में वे Topics या Keyword दिखाए जाते हैं जो एक निश्चित समय में सबसे ज्यादा बार लोगों द्वारा सर्च किए गए हैं।
ये सर्च क्वेरी हाल फिलहाल की घटनाओं से रिलेटेड हो सकते हैं। इन सर्च क्वेरीज की मदद से आप एक अच्छा कंटेंट अपनी ऑडियंस की पसंद अनुसार लिख सकते हैं।
ये वे Topics या Keyword हैं, जिनकी खोज अचानक से बढ़ना शुरू हो गई है। जब लोगों की रूचि अचानक से किसी टॉपिक में बढ़ने लगती है तो ऐसे कीवर्ड को ब्रेकआउट में दिखाया जाता है। इसमें ज्यादातर वायरल विडियो या खबरें होती हैं।
Related Topics और Related Query में जो रिजल्ट दिखाए जाते हैं, उनमें कईं सारे रिजल्ट के सामने प्रतिशत में संख्या लिखी हुई होती है।जैसे – Robots.txt – 250% यह संख्या प्रतिशत कीवर्ड की खोज की बढ़ोतरी और घटोतरी के बारे में बताती है। इसका मतलब यह है, कि इस Robots.txt कीवर्ड की खोज में पहले कि तुलना में 250% की बढ़ोतरी हुई है।
अगर कीवर्ड के सामने +250% यानि यह संख्या प्लस सिंबल के साथ है, तो इस कीवर्ड की खोज में बढ़ोतरी हुई है। लेकिन अगर कीवर्ड के सामने यह संख्या माइनस (-) सिंबल के साथ है, तो इस कीवर्ड की खोज में घटोतरी हुई है।
उदाहरण- अगर पहले किसी कीवर्ड की सर्च वॉल्यूम 100 थी। लेकिन अब यह सर्च वॉल्यूम बढ़कर 200 हो गयी है। इसका मतलब कीवर्ड की खोज 100% से बढ़ गयी है।
अगर आप एक Beginner हैं, तो यह Google Trends Beginner Guide Hindi आपके लिए है। कुछ ऐसे नए ब्लॉगर और Youtuber’s होते हैं, जिनको Keyword Research करने के बारे में कुछ जानकारी नहीं होती है। इसके अलावा कुछ नए कंटेंट creator तो यह भी नहीं जानते है, कि Google Trends क्या है। इसीलिए वे अपनी टारगेट ऑडियंस तक नहीं पहुंच पाते हैं।
अपनी टारगेट ऑडियंस तक पहुंचने के लिए आपको SEO और कीवर्ड रिसर्च करना आना चाहिए। आप SEO और Keyword Research के लिए गूगल ट्रेंड्स का इस्तेमाल कर सकते है। आपको Google Trends का इस्तेमाल करके कीवर्ड रिसर्च, Trending Topic और Trending Queries को कैसे खोजना है। यह सब कुछ सीखना होगा। गूगल ट्रेंडस को इस्तेमाल करने की गाइड नीचे स्टेप बाय स्टेप बताई गयी है।
इन स्टेप्स को फॉलो करें –
स्टेप 1: Blogging Niche को चुनें
अपने Niche को जाँच लें, जिस पर काम करना चाहते हैं। जैसे- टेक्नोलॉजी, समाचार, हेल्थ आदि।
स्टेप 2: Explore सेक्शन का इस्तेमाल करें
यहां आप अपने Niche से रिलेटेड कीवर्ड्स डाल कर सर्च सकते हैं। इसके अलावा मेनू से Explore में जाकर सर्च बॉक्स में अपने Niche से जुड़ा कोई Seed Keyword डाल कर सर्च करें।
स्टेप 3: Filter सेक्शन का इस्तेमाल करें
अब आप अपने अनुसार फ़िल्टर लगा सकते हैं। फ़िल्टर के बारे में आप ऊपर पढ़ चुके हैं। फ़िल्टर लगा कर आप कंटेंट से रिलेटेड एक अच्छा कीवर्ड ढूंड सकते हैं। फ़िल्टर लगाने से मेरा मतलब केटेगरी, लोकेशन, टाइम और वेब सर्च है।
स्टेप 4: Related Query का इस्तेमाल करें
अब Related Query को देखें और अपने कंटेंट से मिलते- जुलते कुछ कीवर्ड को चुन लें।
स्टेप 5: Keyword Compare करें
अब मल्टीप्ल कीवर्ड को Compare box का इस्तेमाल करके Compare करें। कीवर्ड का टाइम ग्राफ चेक करें और trend देखें। उनका ग्राफ ऊपर या नीचे किस तरफ जा रहा है। जिस कीवर्ड का ग्राफ ऊपर की ओर दुसरे की तुलना में अधिक है, उसे चुन लें।
स्टेप 6: Tool का इस्तेमाल करें
अब किसी भी कीवर्ड रिसर्च करने वाले टूल को खोल लें। जैसे- Ahref या Google Keyword Planner.
स्टेप 7: Keyword के सर्च रिज़ल्ट को चेक करें
अब अपने चुने हुए कीवर्ड की सर्च वॉल्यूम और Keyword Difficulty चेक करें। इसके अलावा गूगल सर्च में अपने कीवर्ड को दो Comma लगाकर सर्च करें, और इसके सर्च रिजल्ट को भी चेक करें। जैसे – “Search Intent Kya Hai”
आशा करता हूं, Google Trends Kya Hai आपको समझ आया होगा। आज का लेख How To Find Keywords In Google Trends: Beginners Guide आपको पसंद आया होगा। क्योंकि इसमें मैने कुछ ऐसे पॉइंट्स को कवर किया है, जिससे आपको अपने कंटेंट की प्लानिंग के लिए Google Trends का सही इस्तेमाल करना आ जायेगा।
इसके अलावा मैने इसमें बताया है, कि गूगल ट्रेंड्स कैसे काम करता है, गूगल ट्रेंड्स से कीवर्ड रिसर्च कैसे करें।
लेख पसंद आया हो, तो एक कॉमेंट अवश्य करें। धन्यवाद राधे राधे।
Blogging Niche Kya Hai-आज के लेख ऐसे विषय पर है, जिसकी वजह से आपको ब्लॉगिंग के एक जरूरी हिस्से के बारे में जानकारी मिलेगी। जो ब्लॉगिंग में सबसे ज्यादा जरूरी है, लेकिन ज्यादातर नए ब्लॉगर इस स्टेप को छोड़ देते हैं, स्किप कर देते हैं। जिसकी वजह से आगे ब्लॉगिंग में मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है।

ज्यादातर नए ब्लॉगर, बिना किसी जानकारी के देखा-देखी में आकर ब्लॉग बना लेते हैं। इसके बाद वह उस ब्लॉग पर दिन रात कड़ी मेहनत करते हैं, ताकि उस ब्लॉग पर ज्यादा से ज्यादा ऑडियंस आएं।
लेकिन एक जरूरी स्टेप को स्किप करने से उनका ब्लॉग धीरे-धीरे डाउन हो जाता है। इसके कारण तो कई हो सकते है, लेकिन इसका सबसे बड़ा और मुख्य कारण है, एक ऐसी Blog Niche पर काम करना, जिसपर पहले से ही कंपटीशन मौजूद है।
आज का लेख बेहद खास है, जो आपके लिए बेहद फायदेमंद साबित होगा। लेख में ये जरूरी पॉइंट्स शामिल हैं, फिर लेख शुरू करते हैं।
Niche का मतलब केटेगरी या सब्जेक्ट होता है। दूसरे शब्दों में समझाऊं तो आप अपना ब्लॉग किस सब्जेक्ट पर लिखते है या आप किसी केटेगरी पर ज्यादा ध्यान देते हैं। उसे Niche (निचे) कहते हैं।
उदाहरण देकर समझाने का प्रयास करता हूं, जैसे मेरे Techaasvik Blog पर, मैं हमेशा टेक्नोलॉजी से जुड़े आर्टिकल लिखकर पोस्ट करता रहता हूं। क्योंकि मेरा Techaasvik Blog की Niche, Technology है।
उम्मीद करता हूं, की आपको समझ आ गया होगा की Blogging Niche Kya Hai? आगे जानते हैं, कि Niche के कितने प्रकार हैं?
ब्लॉग नीच तीन तरह की होती हैं, ब्लॉगर इन्ही तीन प्रकार की नीच में से किसी एक को सिलेक्ट करके उसपर ब्लॉग लिखना शुरू करते हैं। यह तीन नीच कौन से हैं, आइए जानते हैं।
यह एक ऐसी ब्लॉगिंग नीच है, जिसमे ब्लॉगर केवल एक ही टॉपिक या यूं कहें एक ही सब्जेक्ट पर काम करता है। अगर आपको ब्लॉग पर केवल एक ही टॉपिक पर कई आर्टिकल दिखाई देते हैं, तो आप समझ जाइए की वह ब्लॉग Single Niche Blog है। इस Niche पर काम करने से आप अपने ब्लॉग पर अच्छी-खासी ऑडियंस को टारगेट कर सकते हैं।
Multi Niche Blog एक ऐसी Blogging Niche है, जिसमे अलग-अलग टॉपिक पर बोहोत सारे आर्टिकल देखने को मिलते हैं। उदाहरण के तौर पर कहूं तो, आपने हेल्थ, न्यूज ब्लॉग, बिज़नेस, फूड रेसिपी या टेक्नोलॉजी ये सभी Multi Niche Blog है।
ज्यादातर वह ब्लॉगर जो हिंदी में ब्लॉग लिखना पसंद करते हैं वह Multi Niche पर ही काम करते हैं। क्योंकि Multi Niche होने की वजह से ब्लॉग पर ज्यादा से ज्यादा ट्रेफिक आने की संभावना बन जाती है।
Micro Niche Blog यह Single Niche Blog का ही एक हिस्सा है। क्योंकि Single Niche Blog में से किसी एक छोटे विषय या टॉपिक को चुनकर, उस Micro Niche Topic पर काम किया जाता है।
उदाहरण के तौर पर कहूं, तो जैसे आपका ब्लॉग टेक्नोलॉजी पर है और आप इसी के एक पार्ट ऑटोमोबाइल टॉपिक पर ब्लॉग लिखते हैं। तो यह आपका Micro Niche Blog होगा।
देखा-देखी के इस दौर में कुछ ऐसे नए ब्लॉगर हैं, जो सफल ब्लॉगर्स को देखकर ब्लॉगिंग की शुरुआत करते हैं। लेकिन उनके ब्लॉग पर वैसा ट्रेफिक नहीं आता, जेसा वह उम्मीद कर लेते हैं। ब्लॉग पर ट्रेफिक ना आने के कई कारण हो सकते हैं लेकिन एक गलत Blogging Niche को चुनना यह भी एक मुख्य कारण हो सकता है।
क्योंकि ब्लॉगिंग, सरकार की उस कुर्सी की तरह है। जिसके चार पैरो में से एक पैर भी टूटा तो ब्लॉगिंग का अंतिम सफर वही से शुरू हो जाता है। इसलिए ब्लॉग के लिए ऐसे Niche को चुनना चाहिए, जिसके बारे में आपको पूरी जानकारी हो।
एक सही Blogging Niche को चुनने के लिए आप इन तरीकों को अपना सकते हैं। मैं पूरी कोशिश करूंगा, की आज के इस लेख से आपको भरपूर जानकारी मिले।
किसी भी Blog Niche को चुनते समय, उसके साथ आने वाले कंपीटीशन का जरूर ध्यान रखना चाहिए। अगर आप ऐसे Blog Niche को चुन लेते हैं, जिसका सर्च वॉल्यूम सबसे ज्यादा है, पर उसका कंपटीशन सबसे ज्यादा है। ऐसे ब्लॉग नीच पर आपकी रुचि भले ही क्यूं ना हो, ऐसे ब्लॉग नीच पर काम करने से बचना चाहिए।
ऐसा इसलिए क्योंकि, लोग पहले ही उस ब्लॉग नीच पर काम रहे हैं। आशा करता हूं, आपको समझ आ रहा होगा।
Blogging Niche को चुनते समय अपने इंटरेस्ट को ज़रूर ध्यान में रखना चाहिए, क्योंकि आपको एक ऐसा Niche सिलेक्ट करना होता है। जिसमें आप ज्यादा से ज्यादा आर्टिकल लिख पाए। अगर आपको किसी ऐसे विषय में जानकारी और रुचि है, तो आप लॉन्ग टर्म तक उस Blogging Niche पर काम कर सकते हैं।
जैसे- मेरी रुचि टेक्नोलॉजी और ब्लॉगिंग में है, और मैं केवल इन्हीं पर अपने आर्टिकल लिखता हूं। क्योंकि मुझे इनमें जानकारी है और मैं इसी के माध्यम से नई-नई जानकारी सीखता रहता हूं।
Monthly Search यानी Blogging Niche को सिलेक्ट करते समय आपको यह जरूर ध्यान रखना चाहिए, कि उस Blog Niche पर हर महीने में कितना ट्रेफिक आता है।
कभी-कभी Interest Niche पर बनाए गए ब्लॉग, सफल नहीं हो पाते हैं। क्योंकि बिना कीवर्ड रिसर्च किए और बिना उसका ट्रेंड जानें, अगर आप कोई ब्लॉग बना लेते हैं तो Blogging में सफल होने के लिए आपको देरी का सामना करना पड़ सकता है।
इसलिए Blogging Niche को चुनने से पहले उसके कीवर्ड रिसर्च जरूर करना चाहिए। इसके अलावा उस Blogging Niche के ट्रैंड को चेक जरूर करें। इसके लिए आप Google Trend का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
अब तक हमनें सीखा की Blogging Niche Kya Hai. अब बात आती है, कि 2024 में ऐसे कौन से Blog Niche हैं, जिनपर ब्लॉग बनाया जा सकता है।
मैने आज के इस लेख में आपको बताया है, कि 2024 में ऐसे कौन से Blog Niche हैं, जिनपर आप अपना ब्लॉग बना सकते हैं। इसके अलावा मैने बताया है, कि Blogging Niche Kya Hai, 2024 में Blog के लिए Niche कैसे चुनें।
आशा करता हूं, कि इस लेख को पढ़कर आपको आनन्द आया होगा। अगर हां, इस लेख को अपने ब्लॉगर दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें। अगर आपका इस लेख से जुड़ा कोई सवाल है या कोई सुझाव देना चाहते हैं, तो कृपा कॉमेंट करके जरूर बताएं। आपका धन्यवाद, राधे राधे।
Keyword Search Intent kya hai– आजकल सभी अपने ब्लॉग या वेबसाइट को गूगल में रैंक करने के लिए लाइन में लगे रहते हैं। गूगल के SERP में रैंक करने के लिए अच्छी खासी कीवर्ड रिसर्च करनी पड़ती है। लेकिन क्या आपने Keyword Search Intent के बारे में सुना है? अगर नहीं, तो यह ब्लॉग पोस्ट आपके लिए है।

जितना जरूरी SEO के लिए कीवर्ड रिसर्च है उतना ही जरूरी User Keyword Search Intent होता है। अगर आपने इसपर ध्यान नहीं दिया तो आप गूगल में रैंक नहीं कर पाएंगे।
अब गूगल SERP में सिर्फ कीवर्ड के आधार पर वेबसाइट को रैंक नहीं कराया जा सकता है क्योंकि गूगल ने अपने अल्गोरिथम में लगातार अपडेट किया है। इसका मुख्य कारण यूजर एक्सपीरियंस को अच्छा करना है।
इसीलिए जिन वेब पेज में यूजर Query और यूजर सर्च इंटेंट को ध्यान में रखकर सही, शुद्ध और सटीक जानकारी दी जाती है। उन वेब पेज की रैंकिंग हमेशा अच्छी होती है।
क्योंकि आज हम आपको बताएँगे कि Search Intent kya hai, यह SEO के लिए क्यों जरूरी है, इसे कैसे समझ सकते हैं और इसे कैसे ऑप्टिमाइज़ कर सकते हैं।
Intent का हिंदी में मतलब इरादा या मकसद होता है। अब अगर इसे ब्लॉग्गिंग या वेबसाइट के कांटेक्स्ट में देखें तो, कोई यूजर किसी शब्द को सर्च इंजन में जिस मकसद से खोजता है। उसे इंटेंट कहा जाता है।
Keyword Search Intent का मतलब है, कि जब कोई व्यक्ति सर्च इंजन में किसी विषय को ढूंढता है, तो वह कुछ शब्दों का इस्तेमाल करता है। इन शब्दों को हम कीवर्ड (यूजर Query) कहते हैं। उस व्यक्ति का इन कीवर्ड को सर्च करने का कोई उद्देश्य या मकसद भी होता है, यूजर के इस इरादे को Search Intent या User Intent कहा जाता है।
जैसे :- कुछ यूजर सर्च Query के उदाहरण इस प्रकार हैं –
| User Search Query | User Intent |
| ब्लॉग कैसे बनायें? | इसमें यूजर का Intent ब्लॉग बनाने का है। |
| गूगल सर्च कंसोल क्या है और इसमे Error क्यूँ आते हैं? | यूजर गूगल सर्च कंसोल के बारे में जानना चाहता है। |
| Keyword क्या होते हैं और Keyword Research करने का सही तरीका क्या है? | यूजर Keyword Research करने की जानकारी लेना चाहता है। |
दूसरे शब्दों में हम यह भी कह सकते हैं, कि किसी यूजर द्वारा सर्च इंजन में कीवर्ड को सर्च करने के पीछे जो मकसद होता है और इसे ढूंडकर यूजर क्या जानकारी लेना चाहता हैं, उसे सर्च इंटेंट कहते हैं।
इन कीवर्ड को अक्सर Google के Autosuggest, People also ask और रिलेटेड सर्च सेक्शन में देखा जा सकता है। इन कीवर्ड का इस्तेमाल आप अपने ब्लॉग पोस्ट का SEO करने के लिए कर सकते हैं। क्योंकि गूगल अब सर्च इंटेंट को अधिक महत्व देने लगा है। इसीलिए Keyword Search Intent को समझना बहुत जरूरी है।
गूगल लगातार अपने सर्च इंजन को बेहतर कर रहा है। इसीलिए गूगल के SERP (Search Engine Result Page) में रैंक करने के लिए अब सिर्फ एक अच्छा कीवर्ड ही काफी नहीं है। अब गूगल प्रतिदिन यूजर के Keyword search intent पर अधिक ध्यान दे रहा है। इससे यूजर को शुद्ध जानकारी प्राप्त होगी जो यूजर खोज रहा है।
इसीलिए गूगल समय-समय पर अपने अल्गोरिदम को अपडेट करता रहता है। सर्च इंटेंट को बेहतर बनाने के लिए कईं सारी अपडेट लाई जा चुकी हैं। जैसे Hummingbird, RankBrain, BERT आदि।
इसीलिए आपको SERP में रैंक करने के लिए User Search Intent को समझना जरूरी है। अपने ब्लॉग पोस्ट को इसके अनुसार बनाना जरूरी है। इसीलिए अपनी ब्लॉग पोस्ट को यूजर Query को ध्यान में रखकर लिखें, इससे आपका कंटेंट वैल्यूएबल और रिलेवेंट होगा।
नोट:- अगर आपका कंटेंट यूजर द्वारा सर्च किए गए कीवर्ड और यूजर के सर्च इंटेंट दोनों से मेल खाता है, तो आप SERP में अच्छा रैंक कर सकते हैं।
सर्च इंटेंट को समझने और अपने कंटेंट को बेहतर बनाने के लिए इन्हें समझ लीजिए। सर्च इंटेंट समझने के लिए आपको पहले ये पता होना चाहिए, कि Keyword Search Intent Ke 3c Kya Hai, जो इस प्रकार हैं-
कुछ विशेष प्रकार का कंटेंट जैसे लैंडिंग पेज, ब्लॉग पोस्ट, विडियो, इमेज, लिस्ट, इन्फोग्रफिक्स, टेबल और प्रोडक्ट्स होता है जो SERP में देखने को मिलते हैं।
कंटेंट का फॉरमेट आपके कंटेंट को अच्छे से दिखने में मदद करता है, जैसे- रिव्यु, केस स्टडी, ट्यूटोरियल और कम्पैरिजन, आदि।
जब यूजर कुछ खोज रहा होता है तो वह किस चीज को ज्यादा महतवपूर्ण समझता है। यह इसके बारे में बताता है।
जैसे बेस्ट, चीपेस्ट, फास्टेस्ट, मोस्ट कम्प्रिहेंसिव, आदि।
आप Google Search Console का इस्तेमाल करके अपनी सर्च Query को देख सकते हैं। इससे अपने कीवर्ड के लिए कंटेंट का प्रकार, कंटेंट का फोर्मेट, कंटेंट का एंगल देख सकते हैं।
सर्च इंटेंट के कुछ प्रकार इस प्रकार हैं –
जब कोई यूजर सर्च इंजन में किसी विषय को समझने के लिए खोज करता है, तो इसका मतलब यूजर विषय की जानकारी लेना चाहता है। इसीलिए इस तरह की यूजर Query या शब्दों को Informational कीवर्ड कहा जाता है। जब इन कीवर्ड का इस्तेमाल किया जाता है, तो आपको फीचर snippet भी देखने को मिलता है।
अत: क्योंकि यूजर का मकसद जानकारी लेना होता है। इसीलिए हम इसे Informational Search Intent कहेंगे।
इसके कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं –
उदाहरण के लिए “पॉडकास्ट क्या है” को खोजने के पीछे यूजर का इंटेंट पॉडकास्ट के बारे में जानकारी लेना है।
जब कोई यूजर किसी विशेष वेब पेज को ढूंडता है, तो ऐसे शब्दों को नेविगेशनल कीवर्ड कहा जाता है। क्योंकि इन कीवर्ड को खोजने के पीछे यूजर का इरादा किसी विशेष पेज तक पहुंचना होता है। इसीलिए इसे नेविगेशनल सर्च इंटेंट कहा जाता हैं।
इसके कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं-
फेसबुक लॉग इन, जीमेल लॉग इन, Ubersuggest कीवर्ड टूल आदि।
जब कोई यूजर कुछ खरीदने या बुकिंग से सम्बन्धित कीवर्ड सर्च करता है, तो इस तरह के शब्दों को Transactional कीवर्ड कहा जाता है। क्योंकि इन कीवर्ड को खोजने का मकसद लेन-देन होता है। इसीलिए इसे Transactional Search Intent कहा जाता है।
इसके कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं-
Best Mobile Under Rs.10000 – इस कीवर्ड को खोजने के पीछे यूजर का इरादा एक अच्छा फ़ोन खरीदना है।
कुछ यूजर किसी प्रोडक्ट को खरीदने से पहले उसकी Specification, वैल्यू, फीचर्स, रिव्यू और मूल्य को Compare करते हैं। यूजर द्वारा इस तरह के सर्च किए गए शब्दों को Commercial कीवर्ड कहा जाता है, इसीलिए इसे Commercial Search Intent कहा जाता है।
ऐसे यूजर्स का इरादा कुछ खरीदने का तो होता है, लेकिन यह खरीदने का पूरा मन अभी तक नहीं बना पाएं हैं। यही फरक Transactional और Commercial को एक दुसरे से अलग करता है।
जैसा कि अब आप जानते हैं, कि यूजर द्वारा खोज किए शब्दों के पीछे यूजर का जो इरादा होता है। उसे सर्च इंटेंट कहते हैं। यूजर इंटेंट को उसकी सर्च Query के शब्दों से आसानी से समझा जा सकता है। आप इसे सर्च इंटेंट के प्रकार में भी पढ़ चुके है। कुछ टिप्स इस प्रकार हैं –
मैं आपको दो उदाहरण से समझाता हूँ-
इसी प्रकार आप यूजर के सभी खोजे गए शब्दों का सर्च इंटेंट आसानी से समझ सकते हैं। इसके अलावा Semrush Tool में सभी कीवर्ड का इंटेंट भी दिखाया जाता है, लेकिन यह एक Paid टूल है।
आज मैने आपको इस लेख में Keyword Search Intent के बारे में बताया है। मैं आशा करता हूं, कि आपने आज के लेख में जाना होगा, कि SEO Mei Keyword Search Intent Kya Hai और यह 2024 में क्यों जरूरी है। आप अपने ब्लॉग रीडर्स के सर्च इंटेंट को समझ सकते हैं।
अगर आपका इस लेख से जुड़ा कोई सवाल है, तो आप कॉमेंट करके पूछ सकते हैं। Keyword Search Intent Kya Hai इस लेख पर अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें। धन्यवाद राधे राधे।
अपने ब्लॉग को गूगल पर रैंक करने के लिए ब्लॉग का Seo करना जरुरी है। इसके लिए आपको अपने ब्लॉग कंटेंट में सही कीवर्ड का इस्तेमाल करना जरूरी होता है। एक सही कीवर्ड रिसर्च ब्लॉग के Seo को बेहतर बना सकता है। अगर आप ऐसे कीवर्ड को रिसर्च करते हैं, जो आपकी ऑडियंस को टारगेट करते हैं। तो इसका फ़ायदा यह होगा, कि इससे वेब पेज गूगल सर्च रिज़ल्ट के टॉप में आ सकता है। इसके लिए आपको यह जानकारी पता होनी चाहिए, कि Keyword Kaise Search Kare.
अगर आप यही जान लेते हैं, कि लोग गूगल पर क्या सर्च कर रहे हैं, किस कीवर्ड को ज्यादा सर्च किया जा रहा है। इसका फ़ायदा यह होगा कि इससे आपका वेब पेज भी गूगल सर्च रिज़ल्ट के टॉप में आ सकता है।
आज इस लेख में हम इसी टॉपिक पर चर्चा करेंगे, की कीवर्ड रिसर्च क्या है और इसे कैसे करें और कीवर्ड रिसर्च करते समय सबसे महत्वपूर्ण चीज क्या देखना है।
कीवर्ड एक शब्द है, जिसका उपयोग लोग सर्च इंजन में लिखकर अपनी क्वेरी को सर्च करने के लिए करते हैं। यूज़र एक कीवर्ड लिखकर अपने सवालों के जवाब सर्च रिज़ल्ट में देख सकता है।
गूगल सर्च इंजन में कीवर्ड की सहायता से वेब पेज के कंटेंट को पहचानता है, और एक निश्चित रैंकिंग पर रखता है। इसलिए कीवर्ड ब्लॉगिंग और एसइओ के लिए जरूरी होता है।
उदाहरण के तौर पर कहूं, तो अगर आप Motorola Moto g54 5g के रिव्यू जानना चाहते हैं, तो Google में Motorola Moto g54 5g Review लिखकर सर्च करेंगे। Google Bot आपके दिए गए कीवर्ड से जुड़ी जानकारी को ढूंढकर सर्च रिज़ल्ट में दिखाता है।
अच्छे Seo के लिए On Page Seo का ठीक होना जरूरी होता हैं। क्योंकि अच्छा Seo आपके ब्लॉग को सर्च इंजन रिजल्ट पेज में एक पोजिशन बनाने में मदद करता है। समझने के लिए आपने एक नया Seo Friendly ब्लॉग पोस्ट लिखा। लेकिन आपके नए ब्लॉग पोस्ट के बारे में गूगल को कैसे पता चलेगा, कि आपका पोस्ट किस टॉपिक और किस सब्जेक्ट पर लिखा गया है।
इसलिए Seo Friendly Article लिखने के लिए और गूगल को अपने ब्लॉग पोस्ट के टॉपिक को बताने के लिए सही तरीक़े से कीवर्ड प्लेसमेंट करना जरूरी होता है।
कीवर्ड भी अलग अलग प्रकार के होते हैं, यह छः प्रकार के होते हैं।
गूगल में अपने ब्लॉग को रैंक करने के लिए वेब पेज का सही तरीके से Seo करना जरुरी होता है। कीवर्ड रिसर्च करना Seo का ही एक जरूरी हिस्सा होता है।
Keyword Research करके आप अपनी सही ऑडियंस यानी ब्लॉग रीडर्स की पसंद के बारे में जान सकते हैं। कीवर्ड को सही तरीके से इस्तेमाल करके आप अपने कंटेंट की क्वॉलिटी को बड़ा सकते हैं। जिससे वेब पेज गूगल सर्च रिजल्ट में रैंक कर सकता है, इससे ब्लॉग पर ऑर्गेनिक ट्रैफिक आ सकता है।
Keyword Research करने के लिए गूगल मार्केट में हर प्रकार के टूल मौजूद है। जिनमें से कुछ टूल्स प्रीमियम नहीं है, इस टूल इस्तेमाल आप कभी भी कर सकते हैं।
नोट: अगर आपको अपनी Website का लिंक चाहिए, तो आपको ब्लॉगर के डेशबोर्ड में आकर View Blog करना है। इसके बाद ऊपर होमपेज की लिंक को कॉपी करना है, ऐसा ही आपको वर्डप्रेस के होमपेज पर जाकर उसका लिंक कॉपी कर लेना है।
Keyword Density का मतलब होता है, कि ब्लॉग पोस्ट में किसी एक कीवर्ड को कितनी बार यूज किया गया है। दूसरे शब्दों में कहूं तो आपके ब्लॉग पोस्ट में जितने वर्ड्स लिखें गए है, उसमें सेम कीवर्ड का कितनी बार इस्तेमाल किया गया है।
उदाहरण के तौर पर समझें- तो आपने अपने ब्लॉग में 1000 वर्ड्स का एक आर्टिकल लिखा है और उसमें “instastories. net” इस कीवर्ड का 10 बार यूज किया है, तो उसकी Keyword Density 1 होगी।
निश्चित तौर पर देखा जाए तो ब्लॉग के अच्छे Seo के लिए Keyword Density का स्कोर 1% से 3% के तक का होना चाहिए। क्योंकि इससे सर्च इंजन को यह पता लगाने में मदद मिलती है, कि आपका वेब पेज किस विषय पर आधारित है। Keyword Density का सही इस्तेमाल करके, ब्लॉग के Seo में सुधार कर सकते हैं।
लेकिन इस बात पर पूरा ध्यान रखना चाहिए, कि Keyword Density घटाने और बढ़ाने के चक्कर में आप अपने ब्लॉग में कीवर्ड का ज्यादा बार इस्तेमाल ना करें। क्योंकि इससे Keyword Stuffing जेसी समस्या आती है।
एक शब्द को बार बार दोहराना इसी को Keyword Stuffing कहते हैं। गूगल में अपने वेब पेज को टॉप पर लाने के लिए यह तरीका गलत होता है, क्योंकि Seo पर इसका गलत असर पड़ता है।
पैराग्राफ को समझाने के लिए या किसी भी कीवर्ड के साथ हेर फेर करने से वेब पेज की क्वालिटी खराब होती है। जिसके बाद यूज़र को पैराग्राफ समझने में परेशानी होती है, और बार बार एक शब्द को पढ़कर उसका विश्वास वेब पेज के प्रति कम हो जाता है। गूगल, Keyword Stuffing को सपोर्ट नहीं करता है, जिसकी वजह से वह वेब पेज को गूगल सर्च इंजन में नहीं रखता और सर्च इंजन से हटा देता है।
आज इस लेख में मैने आपको बताया है, कि कीवर्ड क्या हैं और वे कैसे काम करते हैं, कीवर्ड रिसर्च क्यों महत्वपूर्ण है। कैसे आप अपने कंटेंट के लिए सही आडियंस को टारगेट करके अपनी वेबसाइट पर ऑर्गेनिक ट्रैफिक ला सकते हैं।
आशा करता हूं, की आपको आज का लेख पसंद आया होगा। इस लेख को लेकर आपके मन में कोई सवाल है तो आप कॉमेंट करके पूछें। इसी के साथ लेख कैसा लगा इसके बारे में जरूर बताएं, धन्यवाद राधे राधे।
इसके लिए कुछ टूल्स हैं, जैसे- Ahref Keyword Generator, कीवर्ड प्लेनर टूल और गूगल ट्रेंड.
सही कीवर्ड ढूंढने के लिए आप Seed keyword और Phrases का प्रयोग करें। क्योंकि Phrase या Seed Keyword एक या दो शब्दों के कीवर्ड होते हैं। जैसे- How To, How Can, Tech Tips इत्यादि।
आप इस तरह के Phrase किसी भी Keyword Tool में डालकर बोहोत सारे अच्छे कीवर्ड निकल सकते हैं।
अगर आप SEO एक्सपर्ट बनना चाहते है, तो आपको किसी अच्छे Institution से Digital Marketing Course कर लेना चाहिए।
जी हाँ, Digital Marketing की दुनिया में अगर आप अपना बिसनेस ऊंचाईयों पर ले जाना चाहते हैं, तो इसके लिए SEO बहुत जरूरी है।
SEO किसी भी वेबसाइट या डिजिटल प्लेटफार्म के लिए उतना ही जरूरी है, जितना इंसान के लिए खाना पीना।
क्यूंकि अगर आप ब्लॉग का सही SEO नहीं करेंगे तो इससे आपका ब्लॉग गूगल में नहीं कर सकता है।
गूगल में रैंक करने के लिए कई प्रकार के जरूरी फेक्टर होते हैं, लेकिन आपको इन कुछ ज़रूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए।
1.अपने ब्लॉग को मोबाइल और यूजर फ्रेंडली बनाएं।
2.हाई क्वालिटी कंटेंट को पोस्ट करें।
3.क्वालिटी बैकलिंक बनाएं।
4.सही कीवर्ड को अपने ब्लॉग कंटेंट में लगाएं।
1. Ahrefs
2. SEMrush
3. Moz
4.Google Analytics
1. Informational Keyword
2. Navigational Keyword
3. Commercial Keyword
4. Transactional Keyword